Hindi study Material for DSSSB Exam - समास
जब संक्षेप के लिए दो या दो से अधिक शब्दों को मिलाकर नया शब्द बनाया जाए तो
उस मेल को समास कहते हैं। समास के छह भेद निम्नलिखित हैं:-
1. अव्ययीभाव समास :- जब समास के समस्त पद का पहला पद प्रधान हो तो अव्ययीभाव समास होता है।
उदाहरण : - प्रतिदिन, यथाशक्ति, दिनोंदिन, आमरण, आजन्म, आजीवन, यथामति, यथोचित, भरपेट, हाथोंहाथ, यथाक्रम, बेखटके, नि:सन्देह, प्रतिपल, प्रत्यक्ष, यथासामर्थ्य, बेशक, प्रतिक्षण, अनुरूप, रातोंरात, हाथोंहाथ, दिनोंदिन, कानोंकान।
2. तत्पुरुष समास :- जब समास के समस्त पद का दूसरा पद प्रधान हो व
विग्रह करने पर विभक्ति प्रकट हो तब तत्पुरुष समास होता है।
उदाहरण: - रसोईघर, तुलसीकृत, रेखांकिंत, शरणागत, रोगग्रस्त, राहखर्च, पथभ्रष्ट, धनहीन, जन्मान्ध, सत्याग्रह, उद्योगपति, वनवास, गंगातट, आपबीती, गृहप्रवेश, सेनापति, गिरहकट, मरणासन्न, हस्तलिखित, रोगपीडि़त, गुणयुक्त, विद्यालय, मालगोदाम, गुरुदक्षिणा, भयभीत, रोगमुक्त, अशातीत, गंगाजल, घुड़दौड़, भारतवासी, दीनानाथ, युद्धवीर, ध्यानमग्न, सिरदर्द।
Hindi study Material for DSSSB Exam - वर्ण विचार
3. कर्मधारय समास :- जब समस्त पद के दोनों पदों में विशेषण-विशेष्य या उपमान-उपमेय का संबंध हो तब कर्मधारय समास
होता है।
उदाहरण:- नीलकमल, कालीमिर्च, नीलाम्बर, महाराजा, प्रधानाचार्य, नीलगाम, दुर्जन, चन्द्रमुख, कमलनयन, विद्याधन, चरणकमल, फुलबड़ी, पुरुषोत्तम, सज्जन, भलामानस।
4. द्विगु समास:- जब समस्त पद का पहला पद संख्यावाचक हो तो द्विगु समास होता है।
उदाहरण:-
त्रिलोक, पंचवटी, चौराहा, त्रिभुवन, अठन्नी, चवन्नी, पंचतंत्र, चतुर्भुज, चौमासा, चौपाई, नवरत्न, त्रिफला, सतसई।
5. द्वन्द्व समास- जब समस्त पद के दोनों पद प्रधान हों व विग्रह करने
पर या, और, तथा, अथवा का प्रयोग हो तब द्वन्द्व समास होता है।
उदाहरण:- माता-पिता, गुण-दोष, छोटा-बड़ा, दाल-रोटी, दाल-भात, पाप-पुण्य, देश-विदेश, राधेध्याम, भला-बुरा, सुख-दुख, यश-अपयश, लाभ-हानि, अपना-पराया।
6. बहुब्रीहि समास:- जब समस्त पद का कोई भी पद प्रधान न हो बल्कि समस्त
पद से अन्य कोई अर्थ निकलेतब बहुब्रीहि समास होता है।
उदाहरण:- दशानन (रावण), चक्रधर (विष्णु), पीताम्बर (कृष्ण), चतुर्मुख (ब्रह्मा), चन्द्रशेखर (शिव), नीलकण्ड (शिव), अंशुमाली (सूर्य), लम्बोदर (गणेश), महावीर (हनुमान), सहस्रबाहु (हैदृयराज), मृगेन्द्र (सिंह), गिरिधर (कृष्ण), रत्नगर्भा (पृथ्वी)।
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